शैल तंत्र
शैल का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है, और इन्ही खनिजों के आधार पर शैलों में भिन्नताएं पायी जाती है| शैल अपनी संरचना के आधार पर कठोर मुलायम तथा भिन्न – भिन्न रंगो की हो सकती है| शैल व स्थलाकृतियों में निकट संबंध होता है| शैलों को उनके निर्माण पद्धति के आधार पर तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-
आग्नेय शैल
आग्नेय चट्टान वे चट्टान होती है, जिनका निर्माण पृथ्वी के भीतरी भाग में उपस्थित लावा के ठंडा होने से हुआ है| सभी चट्टानों का मूल पदार्थ गर्म, तरल, चिपचिपा मेग्मा है| जो भूगर्भीय ताप के कारण 60 – 100 km की गहराई से दरारों से होता हुआ धरातल कि ओर बढ़ता है| तरल मेग्मा जब पृथ्वी की तल पर पहुँचता है तो उसका गैसीय अंश वायुमंडल में विलीन हो जाता है, और यहाँ लावा में परिवर्तित हो जाता है|
आग्नेय चट्टान बाह्य और आंतरिक हो सकती है| बाह्य चट्टानें लावे के जल्दी से ठंडा होने के कारण निर्मित होती है, वही आंतरिक चट्टानें लावा के मंद गति से ठंडा होने से कारण निर्मित होती है|
- बाह्य आग्नेय चट्टान – एंडीलाइट तथा बेसाल्ट
- आंतरिक आग्नेय चट्टान – ग्रेनाइट तथा ग्रेबो
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अवसादी चट्टानें
पृथ्वी पर विभन्न चट्टानों पर अपक्षय एवं अपरदन क्रियाओं के परिणाम स्वरूप तथा विभंगित कणों के विभिन्न संस्तरों में एकजुट हो जाने के कारण अवसादी शैलों का निर्माण होता है| इन कणोंका संघनता एवं दाब के कारण विभिन्न परतों में संगठित हो जाना ही अवसादी शैलों का स्वरूप प्रदान करता है| यही प्रक्रिया (lithification) कहलाती है|
अवसादी चट्टानों के प्रकार
- यांत्रिक रूप से निर्मित शैल
- कार्बनिक रूप से निर्मित शैल
- रासायनिक रूप से निर्मित शैल
कायांतरित चट्टान
दाब, आयतन तथा तापमान में परिवर्तन के परिणाम स्वरूप कायांतरित शैलों का निर्माण होता है| कायांतरण मूलरूप से क्षेत्रीय अथवा व्यापक होता सकता है| व्यापक कायांतरण का कारण विवर्तनिकी क्रियाएं है, जबकि क्षेत्रीय कायांतरण कायांतरण लावा उदगार अथवा अन्य स्थानीय कारणों से सम्भव हो सकता है| बिना किसी विशेष रासायनिक परिवर्तन के विखण्डन एवं विभंजन के कारण वास्तविक शैलों में यांत्रिक व्यवधान एवं पुनर्गठन के कारण यांत्रिक कायांतरण होता है|