ग्रहों का विकास

तारे निहारिका  अंदर गैस के गुथित झुण्ड हैं| इन गुथित झुंडो में गुरुत्वाकर्षण से गैसीय बादलों के भीतर कोर का निर्माण हुआ और इस गैसीय  बादल के भीतर चतुर्दिक गैस व धूल कणों की घूमती हुई तस्तरी विकसित हुई|

अगली अवस्था में गैसीय बादल का संघनन प्रारम्भ हुआ तथा कोर के चारों ओर विकसित पदार्थ छोटे – छोटे गोलकों के रूप में विकसित हुए जिनको ग्रहाणो की संज्ञा दी जाती है| इन ग्रहाणुओ सहसंजन तथा संघटन प्रक्रिया के कारण बड़े पिंडु का विकास हुआ और बड़े पिंड वर्तमान के ग्रहो के रूप में विकसित हुए|

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