भूकम्पों का वितरण
भूकम्पों का वितरण ज्वालामुखी से मिलता-जुलता है, भूकंप विश्व के कमजोर भागो में ज्यादा आते है| इस प्रकार भूकम्पों का वितरण इस प्रकार देखा जा सकता है-
प्रशांत महासागरीय पेटी
विश्व के 68% भूकंप प्रशांत महासागर के तटीय क्षेत्रों में आते है| इसे अग्निवलय (Ring of fire) कहा जाता है| यहाँ पर ज्वालामुखी सबसे अधिक है, चिली, कैलिफ़ोर्निया, अलास्का, जापान, फिलीपाइन न्यूज़ीलैंड, तथा मध्य महासागरीय भागों में हल्के एवं भीषण भूकंप आते है|
मध्य विश्व पेटी (Mid World Belt)
इस पेटी में विश्व की 21 % भूकंप आते है| यह पेटी मेक्सिको से शुरू होकर अटलांटिक महासागर, भूमध्य सागर, आल्प्स तथा काकेसस से होती हुई हिमालय पर्वत तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में फैली हुई है|
अन्य क्षेत्र
शेष 11 % भूकंप विश्व के अन्य भागों में आते है| कुछ भूकंप अफ़्रीकी झीलों, लाल सागर तथा मध्य सागर तथा मृत सागर वाली पट्टी में आते है|
भारत में भूकंप
भारत के हिमालय क्षेत्र में अधिकांश भूकंप आते है| गंगा के मैदान में भी भूकंप का प्रभाव दिखाई देता है| 1819 में कच्छ का भूकंप, 1897 में असम का भूकंप, 1905 में कांगड़ा का भूकंप, 1934 तथा 1988 में विहार का भूकंप, 1950 का असम का भूकंप, 1975 में हिमांचल का भूकंप, 1991 में उत्तरकाशी का भूकंप तथा 1999 में नन्द प्रयाग का भूकंप कुछ महत्वपूर्ण भूकंप है. भारत का दक्षिणी पठार भूकम्पों से लगभग मुक्त है. किन्तु 1967 महाराष्ट्र के कोयना बांध क्षेत्र में आया हुआ भूकंप एक महत्वपूर्ण अपवाद है. शायद यह बांध के पीछे अत्यधिक जल के कारण आया हो. 1993 में लातूर में आये भूकंप का कारण प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) माना गया. 2001 में कच्छ में आये भूकंप का कारण भी Plate tectonics ही माना जाता है|