संविधान संशोधन
संविधान एक लिखित या अलिखित दस्तावेज / नियमो और कानूनों का संग्रह होता है, जिसमें उक्त राज्य अथवा संस्था के शासन एवं प्रशासन के संचालन, नियमन एवं नियंत्रण के बारे में दर्शाया जाता है. सामान्यतः संविधान दो प्रकार होते है लिखित एवं अलिखित. किसी भी लिखित संविधान में समय, परिस्थिति एवं आवश्यकता अनुसार उसमे सुधार / संशोधन करने की आवश्यकता होती है. भारतीय संविधान के भाग – XX, अनुच्छेद – 368 में संसद को संविधान एवं उसकी व्यवस्था में संशोधन करने का अधिकार प्रदान किया है. यह अनुच्छेद बताता है संसद अपनी संविधायी शक्ति का प्रयोग करके संविधान के किसी भी उपबंध का परिवर्धन, परिवर्तन, या निरसन के रूप संशोधन कर सकती है.
संविधान संशोधन की प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-368 में संविधान संशोधन की निम्नवत उल्लिखित किया है-
1. संविधान संशोधन का आरम्भ संसद के किसी भी सदन द्वारा विधेयक पुरः स्थापित करके किया जा सकता है.
2. विधेयक किसी मंत्री या गैर-सरकारी सदस्य द्वारा पुरः स्थापित किया जा सकता है, इसके लिए राष्टपति की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है.
3. विधेयक को दोनों सदनों में विशेष बहुमत (50 प्रतिशत से अधिक) द्वारा पारित होना अनिवार्य है. विशेष बहुमत सदन के कुल सदस्य संख्या आधार पर कुल उपस्थित सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत द्वारा होना चाहिए.
4. दोनो सदनों में विधेयक को अलग अलग पारित होना अनिवार्य है.
5. यदि विधेयक संघीय व्यवस्था में संशोधन से सम्बंधित हो तो आधे राज्यों विधानमंडलों में सामान्य बहुमत द्वारा पारित होना अनिवार्य है.
6. सदन के दोनों सदनों तथा राज्य विधानमंडलों विधेयक पारित होने के बाद, राष्ट्रपति को सहमति के लिए भेज दिया जाता है.
7. राष्ट्रपति का संविधान संशोधन अधिनियम पर 24वें संविधान संशोधन के तहत स्वीकृति देना अनिवार्य किया गया है.
संविधान संशोधन के प्रकार
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 दो प्रकार के संशोधन की व्यवस्था करता है.
- संसद के साधारण बहुमत द्वारा
- संसद के विशेष बहुमत द्वारा
- संसद के विशेष बहुमत तथा आधे राज्यों के विधानमंडलों की संस्तुति के उपरांत संसोधन
संसद के साधारण बहुमत द्वारा
भारतीय संविधान में कुछ उपबंध ऐसे है जिनमे संसोधन संसद के दोनों सदनों में साधारण बहुमत द्वारा किया जा सकता है. यह व्यवस्था अनुच्छेद 368 की सीमा से बाहर है. इसमें इन व्यवस्थाओं को शामिल किया गया है-
1. नए राज्यों का प्रवेश या गठन
2. नए राज्यों का निर्माण और उसके क्षेत्र, सीमाओं या सम्बंधित राज्य के नाम में परिवर्तन
3. राज्य विधानपरिषद का निर्माण या समाप्ति
4. दूसरी अनुसूची में संसोधन (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा अध्यक्ष न्यायाधीश के लिए परिलब्धियां, भत्ते विशेषाधिकार आदि)
5. संसद गणपूर्ति
6. संसद के सदस्यों के वेतन और भत्ते
7. संसद में प्रक्रिया नियम
8. संसद के सदस्यों एवं समितियों के विशेषाधिकार
9. संसद में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग से सम्बंधित संसोधन
10. उच्चतम न्यायालयों में अवर न्यायाधीशों की संख्या
11. राजभाषा का प्रयोग
12. नागरिकता प्राप्ति एवं समाप्ति
13. संसद एवं राज्यविधान मंडल के लिए निर्वाचन
14. उच्चतम न्यायालय के न्याय क्षेत्र से सम्बंधित
15. निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण
16. केंद्र शासित प्रदेश
17. पांचवी अनुसूची (अनुसूचित क्षेत्र एवं अनुसूचित जनजाति का प्रशासन)
18. छठी अनुसूची (जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन)
संसद के विशेष बहुमत द्वारा
संविधान के अधिकतर उपबंधों में संशोधन संसद में विशेष बहुमत के आधार पर ही किया जाता है. अर्थात प्रत्येक सदन के कुल सदस्यों का 38 प्रतिशत और प्रत्येक सदन के कुल उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई का बहुमत. कुल सदस्यता अभिव्यक्ति अर्थ सदन के कुल सदस्यों की संख्या (रिक्तियां एवं अनुपस्थितियां) से है. इसमें निम्न संशोधन व्यवस्था को शामिल किया है-
1. मूल अधिकार
2. राज्य के नीति निदेशक तत्व
3. वे सभी उपबंध जो प्रथम एवं तृतीय श्रेणियों से सम्बंधित नहीं है
संसद के विशेष बहुमत एवं राज्यों की स्वीकृति द्वारा संशोधन
इसके तहत निम्नलिखित उपबंधों को संशोधित किया जा सकता है-
1. राष्ट्रपति की निर्वाचन और इसकी प्रक्रिया
2. केंद्र एवं राज्य कार्यकारिणी शक्तियों का विस्तार
3. उच्चतम एवं उच्च न्यायालय
4. केंद्र एवं राज्य के बीच शक्तियों का विभाजन
5. संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व
6. संविधान संशोधन करने की संसद की शक्ति एवं इसके लिए प्रक्रिया