Geography

गंगा का मैदान

गंगा के मैदान का निर्माण हिमालय से निकलने वाली नदियों वाली नदियों गंगा तथा उसकी सहायक नदियों – यमुना, गोमती, घाघरा, गण्डक, तथा कोसी की निक्षेप क्रिया द्वारा बनाया गया है. दक्षिणी पठार में बहने वाली नदियों – चम्बल, बेतवा, केन, तथा सोन ने भी गंगा के मैदान के निर्माण में अपना योगदान दिया है. […]

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उत्तरी भारत का विशाल मैदान

हिमालय पर्वत के दक्षिण में सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र जैसी नदियां की निक्षेप द्वारा निर्मित एक विशाल मैदान स्थित है, जिसे उत्तरी भारत का विशाल मैदान (the great plan of north India) कहते है. सिंधु, गंगा, तथा ब्रह्मपुत्र नदियां द्वारा निर्मित होने के कारण इसे सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र का मैदान कहते है. सम्पूर्ण उत्तरी

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The Great Himalayan Mountains

हिमालय पर्वत हिमालय पर्वत भारत के उत्तर में स्थित है. यह पूर्व से पश्चिम तक विस्तृत है. पूर्व से पश्चिम तक इसकी लम्बाई 2,400 किलोमीटर है. इस प्रकार इसका फैलाव पूर्व-पश्चिम तक दिशा में 22° देशांतर  है. इसकी चौड़ाई कश्मीर में 500 किमी से अरुणांचल प्रदेश में 200 किमी है. एशिया महाद्वीप में 7,300 मीटर

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Geography Of India

भारत का विस्तार 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तथा 68°7′ पूर्वी देशांतर से 97°25′ पूर्वी देशांतर तक फैला हुआ है, इस प्रकार अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार 30° है. जम्मू – कश्मीर से कन्याकुमारी तक उत्तर – दक्षिण दिशा में इसकी लम्बाई 3214 किलोमीटर है, जबकि अरुणांचल प्रदेश से कच्छ के रन तक पूर्व

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मृदा अपरदन अथवा भूमि कटाव (Soil Erosion)

जल तथा वायु के प्रभावाधीन मृदा की ऊपरी परत कटकर बह जाती है, इसे मृदा अपरदन कहते है. मृदा अपरदन मुख्यतः वनस्पतिहीन, ढालू, तथा कम ह्यूमस वाले इलाकों में ज्यादा होती है. यदि मिट्टी रूककर नष्ट हो जाये या उसमें पौष्टिक पदार्थों में कमी आ जाये तो वह मिट्टी खेती तथा वनस्पति के सदा लिए

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Soil

मृदा अथवा मिट्टी (Soil) मिट्टी भूतल में एक पतली परत के रूप में पायी जाती है. जिसका निर्माण चट्टानों इ टूटने फूटने से प्राप्त हुए खनिजों, जीव जंतु तथा पेड़ पौधों के सड़े – गले अवशेषों, जीवित जीव-जंतु जल तथा गैस के मिश्रण से होता है. अपक्षय तथा अनाच्छादन के विभिन्न कारक भू – तल

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Koppen Climate Classification System

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण – जर्मनी के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. व्लादिमिर कोपेन ने सर्वप्रथम 1918 में विश्व की जलवायु का वर्गीकरण किया तथा 1931 में इसका संसोधन किया तथा अंतिम रुप से 1936 में इसे प्रस्तुत किया गया. यह वर्गीकरण व्यापक और सरल है. जिस कारण इसे सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है. कोपेन महोदय ने अपना

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Cyclone

चक्रवात एक निम्न वायु केंद्र होता है, जहा पवन बाहर से केंद्र की ओर चक्कर काटती हुई गति करती है. अर्थात चक्रवात वायु परिसंचरण की वह प्रक्रिया है जिसमे प्रचलित पवनें अपनी गति के नियमों का उलंघन करते हुए किसी आवृत के चारों ओर चक्कर लगाने लगती है. उत्तरी गोलर्ध में पवन  प्रवाह घड़ी की

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Classification Of Winds

पवन (वायु) – वायु विभिन्न प्रकार के गैसो का मिश्रण है, जिसमे जारक, प्रांगार द्विजारेय, नाट्रोजन, उदजन ईत्यादि शामिल होती है।गतिमान वायु की पवन की संज्ञा दी जाती है. उच्च वायुदाब ——> निम्न वायुदाब क्षेत्र पवन गति को प्रभावित करने वाले कारक दाब प्रवणता बल – दूरी के सन्दर्भ में दाब परिवर्तन की दर दाब

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Atmospheric pressure

वायुदाब – मध्य समुद्र तल से वायुमंडल की ऊपरी सीमा तक एक इकाई क्षेत्रफल के वायुस्तंभ के भार को वायुमंडलीय दाब कहते है. समुद्र तल पर वायुदाब का औसत मान 1013.2 मिलीवार(MB)होता है. 1 मिलीवार =10.20kg / m² वायुदाब पेटियां विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी सूर्यातप की सर्वाधिक मात्रा इस क्षेत्र में प्राप्त होने के कारण

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